भारत का कोई भी बच्चा भूख की वजह से शिक्षा से वंचित न होगा – अक्षय पात्र फाउण्डेशन
छत्तीसगढ़ में मिड डे मील अक्षय पात्र भिलाई की सेंट्रलाइज़्ड रसोई के माध्यम से परोसा जाता है। अर्द्ध स्वचालित रसोईघर जो हर दिन राज्य के 192 स्कूलों में लगभग 31,086 बच्चों तक खाना पहुंचता है। इसमें चावल, दाल ,कढ़ी ,खिचड़ी सब्जी और बहुत से स्वादिष्ट, स्वस्थ व्यंजन शामिल हैं। भिलाई की आईएसओ प्रमाणित रसोई ने जनवरी 2009 में परिचालन शुरू कर दिया । भिलाई के यूनिट अध्यक्ष व्योमपद दासजी बताते है कि वे स्वच्छता और सफाई पर उच्चतम जोर देते हैं ।रसोई में वे खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली (एफएसएमएस) का भी पालन करते हैं ताकि भोजन की सुरक्षित संचालन, तैयारी और वितरण सुनिश्चित किया जा सके। इन अत्यधिक मशीनीकृत इकाइयों का उपयोग करके, अक्षय पात्र भोजन के साथ मानव संपर्क को कम करके स्वच्छता के उच्चतम स्तर को प्राप्त करने में सक्षम है। खाना पकाने के बाद, भोजन स्टेनलेस स्टील के कंटेनर में पैक किया जाता है और लाभार्थी स्कूलों में ले जाने के लिए कस्टम किए गए खाद्य वितरण वाहनों में लोड होने के लिए कन्वेयर बेल्ट के माध्यम से पहुंचाया जाता है।
अक्षय पात्र फाउण्डेशन की शुरुआत जून 2000 में श्री मधु पंडित दास द्वारा की गयी थी ।अक्षय पात्र फाउंडेशन एक गैर-लाभकारी संगठन है जो भारत के सरकार और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में मिड डे मील प्रोग्राम को लागू करके भारत में भूख और कुपोषण के दो महत्वपूर्ण मुद्दों को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। अक्षय पात्र फाउंडेशन का उद्देश्य है कि भारत का कोई भी बच्चा भूख की वजह से शिक्षा से वंचित न हो । शिक्षा का महाभोग अक्षय पात्र आज भारत सरकार एवं कई राज्य सरकारों के साथ साझेदारी और साथ ही कई समाज – सेवी दाताओं की उदारता के साथ दुनिया का सबसे बड़ा लंच फूड प्रोगराम बन गया है।वर्तमान में यह सार्वजनिक – निजी – साझेदारी के आधार पर काम करते हुए भारत के 12 राज्यों पर स्टेट ऑफ़ द आर्ट किचन के माध्यम से लगभग 17 लाख बच्चों को पौष्टिक खाना उपलब्ध करा रहे है।
भारत में कुपोषण और दूसरी स्वस्थ्य परेशानियों की वजह से लाखों बच्चे स्कूल छोड़ देते है। बच्चे स्कूल आते है न सिर्फ पढने के लिए बल्कि खाने के लिए भी क्योंकि उनको यहाँ पौष्टिक और पेटभर खाना खाने को भी मिलता है। अक्षय पात्र का उद्देश्य सिर्फ ऐसे बच्चों की भूख को समाप्त करना ही नहीं है बल्कि शिक्षा का सार्वभौमिकीकरण करना भी है।बच्चों को प्रॉपर डाइट न मिलने की वजह से उनके शरीर में पौष्टिक तत्वों की कमी होने लगती है।ऐसे में अक्षय पात्र द्वारा उपलब्ध कराया जाने वाला पौष्टिक खाना ही पूरे दिन के लिए उनका एकमात्र पोषण स्रोत होता है।
अक्षय पात्र द्वारा अपने मेगा किचन की तरफ से बच्चों को जो पौष्टिक खाना प्राप्त कराया जाता है उसमें इस बात का खास ख्याल रखा जाता है कि खाना पौष्टिक हो तथा बच्चों की स्थानीय स्वाद – रुचियों के अनुकूल भी हो।यहां के किचन के अधिकारी नियमित रूप से स्कूलों में जाकर बच्चों की राय हासिल करते है।पूरे देश में काम कर रही इस संस्थान के चेयरमैन भी स्कूलों में अकसर आते-जाते रहते है।मिड डे मील स्कीम की वजह से स्कूलों में बच्चों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और खाना ताजा तथा पौष्टिक होने की वजह से बच्चों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
अक्षय पात्र फाउण्डेशन द्वारा सरकारी स्कूलों में सुविधा से वंचित बच्चों को मिड डे मील उपलब्ध कराना एक सराहनीय प्रयास है। श्री मधु पंडित दास को भारत के बच्चों के लिए अक्षय पात्र द्वारा दी जा रही बेजोड़ सेवा के लिए पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाज गया है ।