छत्तीसगढ़ प्रशासन राज्य में कोसा एवं टस्सर सिल्क उत्पादनो को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे है। छत्तीसगढ़ की आदिवासी महिलाएं अक्सर तस्करी और अन्य प्रकार के शोषण का शिकार होती रही हैं। इन आदिवासी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, और उन्हें आजीविका का एक स्थिर स्रोत प्रदान करने के प्रयास में, छत्तीसगढ़ प्रशासन उन्हें टसर रेशम के उत्पादन में प्रशिक्षित करने का प्रयास कर रहे है।

जशपुर जिले में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को इस पर प्रशिक्षण दिया गया है।पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद, उन्हें जिम्मेदारी सौंपी जाती है और यह प्रक्रिया आदिवासी महिलाओं के लिए आय का एक अच्छा स्रोत साबित हुई है, जो बदले में उन्हें सशक्त बनाएगी।जशपुर तेजी से राज्य के अग्रणी जिलों में से एक के रूप में उभर रहा है। यह परियोजना महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए एक नेक तरीका बन रही है। प्रशासन एक ब्रांड ‘जश उदयम’ विकसित कर रहा हैं, जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से इन उत्पादन के बिक्री पर केंद्रित होगी। मिशन से कई महिलाएं लाभान्वित हुई हैं ।

कोसा एवं टस्सर सिल्क छत्तीसगढ़

साथ ही छत्तीसगढ़ प्रशासन राज्य के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को आजीविका प्रदान करने के लिए बड़े पैमाने पर कोसा-रेशम का उत्पादन बढ़ाने की भी योजना बना रही है। योजना को लागू करने के लिए हर जिले में एक समिति बनाई जाएगी।प्रशासन कोसा-रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक विस्तृत पंचवर्षीय योजना तैयार कर रही है। सभी जिला कलेक्टरों को अपनी क्षेत्रों में कोसा और रेशम की उत्पादन संभावनाओं पर एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है ।

राज्य के अधिकारियों द्वारा यह कहा गया है कि कोसा-रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कोहा (अर्जुन) और साजा के वृक्षारोपण को प्राथमिकता दी जा रही है। इसके अलावा, नियमित रूप से राज्य बागवानी विभाग कोसा और रेशम व्यापार में शामिल व्यक्तियों के लिए तकनीकी और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगा।राज्य में कोसा रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) का गठन करने का भी निर्देश दिया गया है ।