राजनांदगांव के स्व सहायता समूह मासिक धर्म के प्रति लोगों की मानसिकता को बदलने के लिए जागरूकता फ़ैलाने का प्रयास कर रहे है। ये महिलाएं चुप्पी तोड़ अभियान चला रही हैं। इस अभियान के अंतर्गत इन महिलाओं ने , न केवल राजनांदगांव के लोगों में मानसिक धर्म की गलत धारणाओं को दूर करने में और स्वच्छता को अपनाने में मदद की, बल्कि पूरे समाज को जागरूक किया। इतना ही नहीं, इस अभियान का परिणाम यह है कि बड़ी संख्या में महिलाओं की आजीविका का मुख्य स्रोत अब सेनेटरी पैड बन गया है।
वास्तव में ऐसे अभियानों का परिणाम है कि राजनांदगांव को स्वच्छ भारत मिशन के तहत उपलब्धि मिली है। शुरुआत में सैनिटरी नैपकिन के उपयोग के विचार से यह जिला सहमत नहीं था। इसके बाद, ग्राम पंचायतों और शहरी क्षेत्रों में जागरूकता शिविरों का आयोजन किया गया। फिर, जागरूकता अभियान विभिन्न माध्यमों से शुरू हुए, जो सुदूर क्षेत्रों से लेकर शहर और यहां तक कि सिनेमा हॉलों तक पहुंचे। फिल्म पैडमैन को महिलाओं को दिखाया गया था। यह तब है जब महिलाओं ने सीखा कि वास्तव में एक पैड क्या है।
महिला स्व-सहायता समूहों को सरकार की योजनाओं के आधार पर ऋण मिला और इस तरह वे नागपुर से सैनिटरी पैड के लिए ऑर्डर कर रही हैं। वे खुद इसकी ब्रांडिंग कर रहे हैं, जिससे उन्हें रोजगार का साधन मिल गया है। इन महिलाओं समूहों को सस्ते ब्याज दर पर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और महिला और बाल कल्याण विभाग की योजनाओं के तहत ऋण प्रदान किया जाता है। स्वच्छता का यह अद्भुत अभियान सराहनीय है।