महिलाओं के हाथ से झलकती लाख से बनी रंग बिरंगी चूड़ियों के लिए छत्तीसगढ़ का लाख देश भर में अपनी गुणवत्ता के लिए मशहूर है। देशभर में छत्तीसगढ़ के लाख का उपयोग केवल चूड़ियों ही नहीं बल्कि कई अन्य आभूषण और घर सजाने के लिए सजावटी सामान खिलौने सील , राल , मोम के निर्माण के लिए भी किया जा रहा है। विद्युत कुचालक होने के कारण विद्युत उपकरण बनाने में भी यह काम आता हैं। साथ ही इससे फल और दवाओं पर कोटिंग भी किए जाते हैं। यहां से उत्पादित लाख को जयपुर भी भेजा जाता है जहां इससे खूबसूरत चूड़ियां बनाई जाती है और देशभर में सप्लाई होती है जोकि महिलाओं में काफी लोकप्रिय है। कृषक समितियां आमतौर पर कुसुम और रंगीली के पेड़ से लाख उत्पादन करते है। दोनों ही पेड़ों से लाभ की गुणवत्ता अच्छी मानी जाती है। यही वजह है कि वन विभाग से जुड़े लघु वनोपज संघ द्वारा इसकी उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है। इस उद्योग से विभाग को आय होने के साथ ही किसानों की आर्थिक हालत भी सुधर रही है। प्रदेश के किसान परंपरागत खेती के साथ ही लाख उत्पादन के लिए भी सामने आ रहे हैं।

राज्य में कुसुम, पलाश और बेर के पेड़ एक होस्ट पौधे के रूप में बहुतायत में पाए जाते हैं। वर्तमान में लाख विकास योजना के तहत लाभार्थियों द्वारा जिला यूनियनों में कुसुम पेड़, पलाश के पेड़ और बेर के पेड़ की खेती की जा रही है। कांकेर में एक लाख प्रशिक्षण और विस्तार केंद्र भी स्थापित किया गया है और अब तक उपरोक्त केंद्र में कई मास्टर ट्रेनर एवं लाख कृषक किसानों को प्रशिक्षित भी किया गया है।छत्तीसगढ़ देश के अग्रणी लाख उत्पादक राज्य में से एक है, लाख का वार्षिक उत्पादन लगभग 4000 मीट्रिक टन है। राज्य में प्रमुख लाख उत्पादक जिले जगदलपुर, कांकेर, महासमुंद, गरियाबंद, कोरिया, सरगुजा और कबीरधाम हैं।राज्य में लाख की खेती को बढ़ावा देने और इसकी सुविधा के लिए जगदलपुर कांकेर रायपुर दुर्ग बिलासपुर और सरगुजा के वन वृत्त मुख्यालय, में लाख सुविधा केंद्र स्थापित किए गए हैं।

लाख के बीज वन विभाग द्वारा परियोजना के अंतर्गत उत्पादक समितियों को वितरित किए जाते हैं। यह एक तरह के कीट होते हैं जिनहे कुसुम पलाश बेर आदि के पेड़ पर रोप दिया जाता है। बीज से निकलकर यह कीट अपनी संख्या बढ़ाते रहते हैं , पूरे पेड़ पर यह कीट चिपके हुए नजर आते हैं , उनका स्त्रात्व पेड़ की टहनियों से निकाल कर उसे प्रसंस्कृत किया जाता है। लाख के गोले बनकर सप्लाई किए जाते हैं। कुसुम के पेड़ पर उत्पादक सबसे अच्छा माना जाता है यह सबसे महंगा बिकता है। लाख की डिमांड बढ़ने और अच्छी कमाई होने के कारण वन समिति के माध्यम से किसान लगातार इस खेती से जुड़ रहे हैं।