कांकेर जिले के महिलाएं बन रहे आत्मनिर्भर
छत्तीसगढ़ में कांकेर जिले के सीताफल अब पूरे देश में प्रसिद्ध हो रहे हैं। यहां के जंगलों में कुदरती तौर पर सीताफल के कई सारे पेड़ लगे हुए हैं। यही वजह है कि सूखे की मार झेल रहे जिले के लोग अब सीताफल को अपनी आय का मुख्य साधन बनाकर अपनी जीविका चला रहे हैं। महिला समितियों द्वारा जंगल से सीताफल लाकर उसे जिले और जिले के बाहर बेचे रहे हैं। इसके साथ अब सीताफल के पल्प को आइसक्रीम और सीताफल शेक बनाने में भी लगे हुए है। इस सीताफल के पल्प से वे बहुत सी मिठाई बनाना सीख गई हैं, जिससे अब उनकी आय में दोगुनी हो गई है।
कृषि विभाग भी अब इस काम को आगे बढ़ाने के लिए गांव गांव में जाकर वहां महिला समिति बनाकर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने में लगा हुआ है ताकि ये महिलाएं आत्मनिर्भर हो सके और एक बेहतर तरीके से अपने परिवार का पेट पाल सके। जिला प्रशासन ने इन स्व सहायता समूह की महिलाओं को सीताफल के पल्प को सुरक्षित रखने के लिए एक डीप फ्रिज मुहैया काराया है। ये महिलाएं अब विदेशों के बाजार में भी सीताफल बेचने की तैयारी में जुटे गई हैं ।
घनघोर जंगलों और पहाड़ों के बीच स्थित छत्तीसगढ़ का कांकेर जिला नक्सल हिंसा से बुरी तरह प्रभावित रहा है। गरीबी में जकड़े ग्रामीण परिवारों के पास न तो खेती का समुचित साधन था न ही कोई और काम-धंधा।कारण यह पहाड़ी इलाका है। मिट्टी कम उपजाऊ है। पानी की उपलब्धता भी कम है लेकिन सीताफल के उत्पादन के लिए यह एकदम अनुकूल है। आज करीब 16 हजार परिवारों को इससे रोजी मिल रही है।