वीएनआर सीड्स , वर्तमान में देश के प्रमुख सीड विनिर्माण कंपनियों में एक है। छत्तीसगढ़ में स्थापित इस कंपनी द्वारा व्यावसायीकरण और बीज के विपणन रायपुर  से शुरू होकर अब पूरे  भारत में की जा रही है। डॉ नारनभाई चावड़ा वीएनआर के संस्थापक ने अपने निजी अनुभवों का विवरण  करते हुए  बताया  – “हमारा किसानो का परिवार है। मेरे पिताजी मोनजी चावड़ा , एक गांधीवादी थे और एक राइस मिल चलाया करते  । सन 1948 में उन्होंने सब्जियों की खेती करने के लिए उद्यम करने का निर्णय लिया। हमने करीब 3 एकर भूमि लीज पर लेकर उसमे   खेती शुरू कर दी ।  हम जल्द ही 10 एकर ज़मीन पर खेती करके  एक सरल ,जीवन जीने लगे  । खेती में अपनी रूचि की पूर्ति के लिए मैंने अल्लाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टिट्यूट, उत्तर प्रदेश  से विशेष ज्ञान प्राप्त की  । आगे जीवन में सचमुच कृषि सम्बन्धी पढाई मेरे लिए वरदान साबित हुई। 1964  में मै अपने पिता के  खेती के कार्य में सम्मलित हुआ ।उस समय सब्जी की खेती को पारंपरिक रूप से किया जाता था।  किसी भी तरह की तकनीक का प्रयोग  नहीं था,चाहे वो  बुवाई, सिंचाई या भंडारण  हो। मैं कॉलेज से निकला ही था और  ज्ञान से सशस्त्र था, डिग्री वाला किसान था – पर मुझे जल्द ही यह आभास हो गया  की  खेती करने की वास्तविकता और हमारे कालेज में पढ़ी गयी थ्योरी ,में बहुत अंतर था । खराब गुणवत्ता के बीज के कारण हमारी फसले  खराब हो रही थी ।

मुझे यह भी ज्ञात हुआ की  बीज अक्सर मिश्रित किस्म के थे और उपज में कोई एकरूपता नहीं थी. तो, मैंने बीजो की  गुणवत्ता और सुधार के लिए एक प्रक्रिया शुरू की चयन और फिर सबसे अच्छा बीज गुणन के द्वारा । 5 साल के अनुसंधान और क्रॉस -ब्रीडिंग के पश्चात  मैंने  गैर मौसम बाध्य बीज , हरे-भरे सेम का सृजन  करने में सफलता प्राप्त की । पर हमने  अपने निष्कर्षों को  व्यवसायीकरण रूप तब प्रदान किया  जब  विमल ने कृषि डिग्री मिलने के बाद खेती में समलित हुआ। हमने औपचारिक रूप से वीएनआर बीज का शुभारंभ किया और संकरण पर अपना अनुसंधान तेजी से आरम्भ कर दिया । हमें करेले  के साथ शानदार परिणाम मिला और 1998 में हमने मार्किट लांच किया। उसके बाद से हमारे बीजो की क्वालिटी की ख्याति लोगो के मुख पर है  और हमने कभी पीछे मुरकर नहीं देखा ।“

 वेजिटेबल ब्रीडिंग और फ्रूट ब्रीडिंग के बाद हमने वेजिटेबल ग्राफ्टिंग पर काम आरम्भ किया। मेरे परिवार का  हर सदस्य मेरे  जुनून में शामिल  है। मेरी बहु  ड्रिप इरीगेशन की एक्सपर्ट है।उद्यम के शुरुआत में मेरी पत्नी अपने हाथों से नेट हाउसेस सीती थी । कंपनी के विकास के पाठ्यक्रम के दौरान विमल और मैंने जापान साउथ कोरिया इजराइल का दौरा किया और वहा  की लेटेस्ट तकनीको से रुबरु हुए । 

आज प्राय: हम किसानों के आत्महत्या के बारे में पढ़ते है। दुःख होता है की देश की आज़ादी के इतने साल के बाद भी किसानों की यह स्थिति बनी हुई है। सही टेक्नोलॉजी और आवश्यक साधन हम किसानो तक पहुंचाने में असमर्थ रहे है। कृषि विज्ञानं तेजी से आगे बढ़ रहा है ,नयी-नयी तकनीकें विकसित हो रही है। किसानो में शिक्षा का प्रसार और नयी तकनीक उन तक पहुंचना आवश्यक है। हमारी कृषि शिक्षा पद्दति जॉब ओरिएंटेड होकर रह गयी है। आवश्यकता है व्यवहारिक कृषि -पद्दति की , ताकि पढ़ा लिखा किसान आत्मविश्वासपूर्वक खेती को अपना सके।“
वीएनआर अपने शानदार भविष्य में अपने  किसान मित्रों को शामिल करने में विश्वास रखता है । हम ज्ञान के प्रचार-प्रसार पर बल देते है । में अपने किसान भाइयो से भिन्न नहीं। हमारा मंत्र है ” किसानो के हित में’।हमारा  लक्ष्य “अच्छे बीज , बेहतर उपज”।
नारायण चावड़ाजी की निजी अनुभवों की कहानी उनकी पुस्तक ‘प्रगतिशील कृषि के स्वर्णक्षार’ में वर्णित है।