छोटे कद की बड़ी कलाकार : साधना ढांड
तमाम बाधाओं के बावजूद अगर कुछ कर गुजरने का होसला हो तो इंसान के लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं होता। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है रायपुर की कलाकार साधना ढांड ने। बचपन से ही शारीरिक रूप से असक्षम साधना छत्तीसगढ़ के कला क्षेत्र में एक ऐसा नाम है जिन्हे कई चुनौतियों के बीच कला के प्रति खास स्नेह और रचनात्मक के लिए जाना जाता है। साधना जन्म जात ऑस्टिओ जिनेसिस इम्पेर्फेक्टा कांजनेता से ग्रस्त है, जिसके कारण उनकी शारीरिक ऊंचाई 3 फुट 3 इंच है, इन सबके बावजूद साधना का छोटा कद उनकी कला साधना से बड़ा नज़र आता है। नि:शक्त होते हुए भी साधना की बहुमुखी कलात्मकता आम आदमी से ज़्यादा सशक्त नज़र आती है। साधना ढांड मूलत: चित्रकार है जिसकी श्रेष्ठता म्यूरल्स एवं मूर्ति कला में है ,लेकिन उन्होंने अपने होब्बीस फोटोग्राफी एवं बोन्साई गार्डेनिंग में भी परम्परागत हासिल की है ।
बारह साल की उम्र में उनकी श्रवण शक्ति भी चली गई थी और अब तक इस बीमारी से उनके शरीर में करीब 80 फ्रैकचर हो चुके है। इस लाइलाज बीमारी के बावजूद वह न सिर्फ अपने शौक को अपनी पहचान बनाए हुए है ,बल्कि पिछले तीस सालो से हज़ारो क्षात्रो को कला की शिक्षा दे रही है।
बिजिनेस स्टेट के प्रतिनिधि के साथ खास मुलाकात में उन्होंने बताया “मुझे अपने छात्र- छात्राओं से अत्यधिक सहयोग एवं प्यार मिला है ,जो मेरी सबसे बड़ी पूंजी है। ” साधना ढांड ने बताया की अपनी मुश्किलों का सामना करना और अपनी छिप्पी प्रतिभा को पहचानने में उनकी मां स्वर्गीय श्रीमती राजकुमारी ढांड का अहम योगदान रहा है। उनके मदद से साधना ने क्रिएटिव लक्ष्य को प्राप्त किया है। विषम स्थितियों में भी हमेशा खुश रहने व मुस्कुराने वाली साधना सभी के लिए प्रेरणाश्रोत है।
साधना ने देश के विभिन्न कोने में कई एक्सहिबिशन्स द्वारा, अपनी कला का प्रदर्शन किया है और इन्हे कई अवार्ड्स से सम्मानित किया गया है।2013 में भारतीय सरकार द्वारा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सेपार्टमेंट ऑफ डिसेबिलिटी अफेर्स ने इन्हे विकलांगजनो के रोल मॉडल के रूप में उनके उत्कृष्ट कार्य को सराहा और राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया।
शारीरिक सीमाओं से बंधी साधना का कैनवस इतना बड़ा है की हर बार वे उसमे एक नया रंग भर देती है। अपने प्रति प्रकृति की तमाम उपेक्षाओं के बावजूद साधना ढांड की कलाकृतियों में प्रकृति अपने पूरे वैभव ,गौरव और अनुभव के साथ व्यक्त होती है। वाकई साधना अपने आप में बेमिसाल है।