शास्त्रीय नृत्य की विरासत सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध काजल बिस्वास
ढाई साल की उम्र में, जब बच्चे मुश्किल से बोल पाते हैं, काजल बिस्वास ने ओडिसी के शास्त्रीय नृत्य रूप में प्रशिक्षण लेना आरम्भ कर दिया । दो साल बाद, उसने कथक के नृत्य रूप में अभिनय किया और अगले तीन वर्षों के लिए उसे कत्थक में प्रशिक्षित किया गया। फिर उसने 9 साल तक भरतनाट्यम में प्रशिक्षण प्राप्त की ।
काजल बताती है कि जीवन हमेशा उसके लिए संघर्षमय रहा है। परिवार के वित्तीय मुद्दे के कारण उसने 14 साल की छोटी उम्र में खुद के लिए कमाना शुरू किया। उसनेअपनी बीकॉम की पढाई पूरी की और पोस्ट ग्रेजुएशन किया जिससे उसके लिए कई नए अवसर उसे मिले। काजल ने लगभग चार साल तक एक प्ले स्कूल के डिप्टी डायरेक्टर के रूप में काम किया और साथ ही साथ विभिन्न शो और प्रतियोगिता में भाग भी लिया ।
अपने डांसिंग करियर के लिए किसी भी पारिवारिक समर्थन के बिना , उसने अपना नृत्य संस्थान “नटराज क्लासिकल डांस इंस्टीट्यूट” खोला और 8 वर्षों से लोगों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षण दे रही हैं। उनके नाम पर उपलब्धियों की एक लंबी सूची है। वर्ष 2014 में भरतनाट्यम के लिए और वर्ष 2015 में कथक के लिए दुनिया भर में लिम्का बुक में रिकॉर्ड स्थापित किया हैं। काजल ने सारेगामा इवेंट्स में छत्तीसगढ़ का भी प्रतिनिधित्व किया है, जहाँ उन्होंने आदरणीय पदमश्री सरोजा वैद्यनाथन जी के सामने प्रस्तुति दी। काजल ने 2016 में राष्ट्रीय युवा महोत्सव एवं 2014 और 2016 में राजिम और रायपुर में राज्योत्सव में भी नृत्य प्रदर्शन किया। रायपुर राजोत्सव में उन्होंने एक नृत्य नाटिका में “महिसासुर मर्दिनी” शीर्षक से प्रस्तुति दी।
भरतनाट्यम को अगली पीढ़ी तक ले जाने और शास्त्रीय नृत्य की विरासत सुनिश्चित करने के लिए काजल प्रतिबद्ध है।