प्रमोद बताते हैं कि वे पिछले 20 सालों से रंगों से खेल रहे हैं। वे कहते हैं कि रंगोली को बनाने और रंगों के इफेक्ट के लिए उन्होंने किसी तकनीक की मदद नहीं ली है। ये सिर्फ कलर कॉम्बिनेशन और उंगलियों का खेल है। वे बताते हैं कि कुछ भी क्रिएटिव करने के लिए दो चीजें सबसे ज्यादा जरूरी हैं ध्यान और धैर्य।उन्हें यह बात भली भांति ज्ञात होती है की जिस रंगोली को वह घंटो बैठे बनाते है वह कुछ क्षणों में हटा दिया जाएगा , पर इसके बावजूद वह अपनी हर रंगोली उतने ही उत्साह और जुनून से बनाते है।
रायपुर में पले बढ़े प्रमोद साहू रंगोली और पेंटिंग के फ्रीलांस कलाकार है । उनका मानना ​​है कि 2डी रंगोली से 3डी रंगोली के आगमन से एक नई कला की उत्पत्ति हुई है। अन्य कला आकृतियों से अधिक रंगोली इनका पैशिन है और ये इस कला को विश्वभर में लोकप्रिय बनाने की इच्छा रखते है। ये सक्रिय रूप से सामाजिक कार्य और विभिन्न संगठनों और राज्य की संस्थाओं द्वारा आयोजित कार्यक्रम में व्यस्त रहते हैं।

“बहुत ही कम उम्र से, मैं अपनी बड़ी बहन से रंग छीन, पाउडर रंग से अलग अलग आकार बनाने का प्रयास करता था। रंगों के साथ खेलने के इसी शौक से मेरे कला की शुरुआत हुई है, और पिछले 20 वर्षों से पारंपरिक, यथार्थवादी और 3 डी रंगोली बना रहा हूँ।“ पिछले 10-12 सालो म रंगोली कला में बहुत क्रांति आई है और इस कला को जागरूकता एवं विज्ञापन का एक महत्वपूर्ण माध्यम माना जा रहा है । रंगोली कला का काम अस्थायी है, लेकिन जनता को आकर्षित करता है । मेरा आदर्श कला को बढ़ावा देना है । मेरे लिए तो रंगोली मेरा जुनून , उत्साह और आजीविका का माध्यम है।“
“छप्पाक” कला शाला के निर्देशिक और “हम्र” कला समूह के संस्थापक प्रमोद साहू यथार्थवादी रंगोली, चित्रकला और अन्य विभिन्न कला के लिए श्रेष्ठ प्रशिक्षण भी प्रदान करते है । जरूरतमंद और रचनात्मक कलाकारों को बिना फीस के प्रशिक्षण देते है।