नाचा (North America Chhattisgarh Association) ने किया मदद- चित्रसेन साहू पहुंचे यूरोप के सबसे ऊंचे शिखर माउंट एलब्रुस (रुस) .परे भारत मे दोनों कृत्रिम पैरों से फतह करने वाला प्रथम व्यक्ति बने

छत्तीसगढ़ में एडवेंचर स्पोर्ट्स पर्वतारोहण में ढ़ेरो सम्भावनाएं है उल्लेखनीय है कि NACHA ( North America Chhattisgarh Association/ Global Chhattisharh NRI Community) के सहयोग से युवा पर्वतारोही चित्रसेन साहू यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रुस (रुस) को फतह करने वाले देश के प्रथम डबल अम्पुटी पर्वतारोही बन गए है।चित्रसेन ने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रुस से मिशन इंक्लूसन और प्लास्टिक फ्री का संदेश दिया है।NACHA ने चित्रसेन साहू और पूरे छत्तीसगढ़ वासियों के लिए बधाई संदेश प्रेषित किया है।

प्रदेश के युवाओं को मंच देने के लिए NACHA कृत संकल्पित है इसी कड़ी में पर्वतारोहण में युवाओ के लिए नए अवसर तलाशे जाएंगे।हाल ही में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में पर्वतारोहण अकादमी शुरू करने की घोषणा की है।चित्रसेन साहू की इस उपलब्धि से छत्तीसगढ़ का गौरव बढ़ा है।इस मिशन को कम्प्लीट करने के लिए चित्रसेन को आर्थिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा था लेकिन NACHA ने आर्थिक सहयोग कर मिशन की सफलता को सुनिश्चित किया।

NACHA मदद के लिए क्यो आगे है NACHA प्रवासी भारतीयों का वह समूह है जिसका उद्देश्य छत्तीसगढ़ और यहां के लोगो को पूरी दुनियां में पहचान दिलाना है।अध्यक्ष गणेश कर ने बताया की NACHA युवाओं के प्रतिभाओं को आगे लाने में विशेष प्रयास कर रहे है।सामाजिक मदद की परंपरा की शुरुआत करनी होगी ताकि कोई प्रतिभा आगे बढ़ने से वंचित न हो जाए।छत्तीसगढ़ में करोड़ो लोगों के रहने के बावजूद एडवेंचर स्पोर्ट्स में आर्थिक समस्या सामने आ रही है जिसे NACHA ने समझा और चित्रसेन साहू को तुरन्त मदद के लिए तैयार हो गए। गणेश कर ने कहां की सभी कम्युनिटी को आगे बढ़ कर, समाज के अंतर को भुला के आपके प्रदेश के प्रतिभा को मदद करनी चाहिए।वह सभी NACHA executive community और संगठनों के सदस्यों को धन्यवाद देते हैं जो हमारे राज्य और लोगों का समर्थन करने के लिए बहुत अच्छा काम कर रहे हैं

ओलंपिक के लिए प्रोत्साहित करेगा NACHA
NACHA के कार्यकारी अध्यक्ष गणेश कर ने बताया कि छत्तीसगढ़ में एडवेंचर स्पोर्ट्स के साथ ही देशी खेलों को बढ़ावा देने की जरूरत है।पूरे भारत मे स्पोर्ट्स दो भागों में बंटा हुआ है कुछ स्पोर्ट्स में कामयाबी ग्लैमरस है तो दूसरी ओर कुछ स्पोर्ट्स अपनी अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है।खेलों के बीच की खाई को मिटाने की परम्परा शुरुआत करनी होगी।बुनियादी संरचना के ऊपर कार्य करने होंगे क्योकि एक खिलाड़ी के लिए भविष्य की अनिश्चितता के साथ पैसों की कमी बहुत बड़ी रुकावट है।