पद्मश्री फूलबासन बाई
फूलबासन बाई मां बम्लेश्वरी स्व सहायता समूह की अध्यक्ष हैंI इनके इस महिला समूह में दो लाख से अधिक महिलाओं का समूह काम कर रहा है I राजनांदगांव जिले के छोटे से गांव सुकुलदैहान की 5वीं पास महिला फूलबासन बाई यादव ,किसी मीसाल के कम नहीं हैI फूलबासन कभी अपने गांव में बकरी चराया करती थीं, लेकिन अपनी लगन और मेहनत से उन्होंने एक महिला समूह बनाया जो अब लाखों महिलाओं को राजगार दे रहा हैI फूलबासन बाई ने गांव की महिला से लेकर पद्मश्री हासिल करने तक का सफर तय कर एक मिसाल पेश की हैI फूलबासन बाई नारी सशक्तिकरण का एक अच्छा उहादरण पेश कर रही हैं.
2001 में उन्होंने दो रुपये और दो मुट्ठी चावव से 10 महिलाओं के साथ स्व सहायता समूह की शुरुआत की थी I आज इस महिला समूह से दो लाख महिलाएं जुड़ गई हैं और इनकी बचत करोड़ों में हैI फूलबासन बाई कहती हैं ” बचपन में पढ़ाई करने की काफी इच्छा थी, लेकिन गरीबी के चलते ये सपना ही रह गया, बड़ी मुश्किल से 5वीं तक की पढ़ाई हो पाईI 13 साल की उम्र में मैं ससुराल आ गई यहां भी मैंने गरीबी देखी, फिर कुछ करने की इच्छा मन में जागी और महिला समूह की शुरुआत की I”
अपनी मेहनत और लगन से फूलबासन आज डेयरी, बकरी पालन,मच्छली पालन, खाद कम्पनी चला रही हैं और लाखों महिलाओं को रोजगार दे रही हैं Iइसके साथ ही वे नशामुक्ति और खुले में शौच को लेकर भी अभियान चलाती हैं I
भारत सरकार ने फूलबासन बाई को 2012 में पद्मश्री से सम्मानित किया Iतो वहीं छत्तीसगढ़ सरकार ने जनाना सुरक्षा योजना नामक प्रसूति कार्यक्रम के लिए उन्हें अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया था I साल 2014 में महावीर फाउंडेशन पुरस्कार से भी फूलबासन बाई सम्मानित हुईं हैI