Prakhar Kotadia, founder Roopkesarivatika
रूपकेशरीवाटिका २०२० से वृक्षारोपण का कार्य बड़े ही सक्रिय रूप से कर रही है इसका निर्माण बीस वर्षीय प्रखर कटोड़िया द्वारा की गई हैं जिनका २०२० में २०२० वृक्ष लगाने का था जो कि किसी कारण वश पूरा नहीं हो पाया है और उस साल उन्होंने ११०० पेड़ लगाए और अभी २०२१ में ये कार्य बड़े ही सक्रिया तरीक़े से चालू और इस साल अभी तक ३५०० पेड़ लगाए जा चुके हैं और प्रति दिन ५०-१०० पेड़ लगाए जाते हैं।
प्रखर बताते हैं कि रूपकेशरीवाटिका का उदेश्य सिर्फ़ साफ़ वायु पाने का नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के स्थानीय जीव जंतु प्रजातियों को बचना व उन्हे आश्रय प्रदान करना हैं ।
जो रूपकेशरीवाटिका प्रखर ने अकेले एक सोच के साथ स्थापित किया था आज उसमें १७ स्वयंसेवक है जो अलग अलग काम को सम्भालते हैं।
रूपकेशरीवाटिका द्वारा ज़्यादा कर करंज, कदम , सीसम, पेंटफ़रम, कबसा, रैन ट्री, जैसे इत्यादि वृक्ष रोपण किया जाता हैं जो छतीसगढ़ के वातावरण और यह की वायु में जल्दी उग जाते हैं , साथ ही इनके अनेक आयुर्वेदिक फ़ायदे भी हैं।
वृक्ष् रोपण के लिए जनसहयोग निधि के माध्यम से राशि इक्कठा की जाती ये सहयोग हमें सिर्फ़ छत्तीसगढ़ से नहीं बल्कि विदेशी देशों जैसे दुबई , फ़्रान्स, न्यू-जर्ज़ी (अमेरिका) से भी आता हैं और इन देशों की मदद से प्रति महीने २०० पेड़ लगाए जाते हैं।
ये पेड़ तालाब के किनारे, शासकीय स्वस्थ केंद्र, सरकारी स्कूल , डिवाइडर, जैसे जगह पे ट्रैक्टर से जोताई करके लगाया जाता हैं और हर हफ़्ते इनका सर्वेक्षण किया जाता हैं।
ये भविष्य में नदी बचाव के लिए रोपड करने की योजना बना रहे हैं जिसकी मदद से नदी सूखने से बच सके।