आज इस तेज रफ़्तार जिंदगी में जहां आम आदमी सिर्फ अपने लिए ही जीता है , दूसरो के विषय में सोचने की भी फुरसत आज किसी के पास नहीं है ,ऐसे समय में रायपुर के चिकित्सक परिवार से जुडी 86 वर्षीय डॉ. नलिनी राजिमवाले ,नि:स्वार्थ सेवा की प्रतिमूर्ति के रूप में एक आदर्श मिसाल है जो अपने चिकित्सकीय ज्ञान को सेवा का माध्यम बनाकर लोगो को नि :शुल्क होम्योपैथिक चिकित्सा प्रदान करती है।25 वर्षो से वे अपने ही निवास में धर्मार्थ होम्योपैथी अस्पताल के नाम से धर्मार्थ डिस्पेंसरी चलाती है।
अपने जीवन यात्रा का विवरण करते हुए डॉ नलिनी बताती है की बचपन से इनके मन में कुछ करने की छटपटाहट थी। उस समय पारिवारिक स्थिति से विवश,7 बहने होने के कारण इनके पिता ने 19 वर्ष में इनकी शादी करदी। इन्होंने शादी के पश्चात अपने बी.ए की पढाई सम्पूर्ण की थी और तभी रायपुर कलेक्टर ने सर्वे करवाया और उस आधार पर इनका चयन आनरेरी मजिस्ट्रेट हुआ। 9 वर्षो तक उन्होंने ये पोस्ट संभाला। फिर सामाजिक सेवा से जुड़ गयीं पर अंदर से कुछ करने की चाह थी। उस समय इनके पति डॉ. दिनकर राजिमवाले होम्योपैथिक कॉलेज के डीन थे ,डॉ नलिनी ने 48 वर्ष की उम्र में वही से अपना डी. एच.बी का 2 वर्षीय कोर्स किया और डॉ. बी.सी.गुप्ता के निर्देशन में काम करने लगी थी। परंतु इसमें भी संतुष्टि नहीं मिली इनको और 59 वर्ष के उम्र में इन्होंने डी. एच.एम.एस का 4 वर्षीय कोर्स किया और दुर्ग से अपना इंटर्नशिप किया। अपने पति के प्रेरणा से इन्होंने अपना चैरिटेबल प्रैक्टिस का यही से आरम्भ किया।
सन्देश :वे कहती है कि शिक्षा का उम्र से कोई सम्बन्ध नहीं होता।,तथा जहां चाह वहां राह खुद ब खुद बनती है। एक संयुक्त एवं ऑर्थोडॉक्स परिवार में रहकर भी उन्होंने अपनी मंज़िल पा ली है और वह यही शिक्षा आज के महिलाओ को देती है।